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अरबो का सिंध विजय


अरबो का सिंध विजय का विस्तृत वृतांत चचनामा नामक ग्रन्थ से मिलता है| यह अरबी भाषा में लिखित है बाद में अबुबकर कूफी ने नासिरुद्दीन कुबाचा के समय में उसका फारसी में अनुवाद किया |

                       अरबो का सिंध अभियान 

पश्चिम से भारत में प्रवेश करने के लिए चार मार्ग थे | एक जल मार्ग तथा तीन स्थल मार्ग थे जल मार्ग समुद्री तट के साथ - साथ था | तीन स्थल मार्ग एक हैबर की घाटी में , दूसरा बोरान की घाटी में तथा तीसरा मकरान के किनारे किनारे था |  सर्वप्रथम खलीफा उमर  के समय में 636 ई  में बम्बई के निकट थाना की विजय के लिए एक अभियान भेजा गया किन्तु वह असफल रहा |  इसी अभियान के दौरान सर्वप्रथम भारत के लोग इस्लाम के संपर्क में आये फिर दूसरा अभियान 644 में खलीफा उस्मान के समय में अब्दुल्ला बिन उमर के नेतृत्व में स्थल मार्ग से किया गया किन्तु असफल रहा इसी प्रकार 659 में अल हरीस ने अगला अभियान शुरू किया किन्तु मारा गया | 
Mohammad bin qasim
Mohammad bin qasim



      708 ईसवी में दस्मिक के खलीफा वलीद और उसके ईराकी गवर्नर मंसूर हजाज़ के लिए भेंट लेकर सिंहल के राजा के यहाँ से एक अरब जहाज ईराक जा रहा था इस जहाज में पित्रहीन मुस्लिम युवतिया थी सिंध के बंदरगाह देवल के पास लुटेरो ने जहाज को लूट लिया उस समय सिंध का राजा दाहिर था हजाज़ ने लुटेरो को दण्डित करने के लिए सन्देश भेजा किन्तु दाहिर ने उत्तर दिया की लुटेरे उसके बस में नहीं है और ना ही उन पर उसका कोई नियंत्रण है इस घटना के बाद हजाज़ ने सिंध पर आक्रमण करने का निश्चय किया 711 ईसवी में उसने उबेदुल्लाह के नेतृत्व में एक अभियान भेजा परन्तु वह पराजित हुआ और मारा गया दूसरा अभियान समुद्री मार्ग से बुदैल के नेतृत्व में भेजा गया परन्तु बुदैल भी पराजित हुआ और मारा गया इसके बाद ७१२ ईसवी में  मीरकासिम के नेतृत्व में अभियान भेजा गया 



                    मीरकासिम का आक्रमण और देवल का पतन 

     
Mohammad bin qasim
Mohammad bin qasim
मीरकासिम  हजाज़ का भतीजा और दामाद था इस समय मीरकासिम की आयु मात्र १७ वर्ष थी यह वीर और कुशल सेनानायक था मीरकासिम मकरान के रास्ते भारत आया उसके साथ सीरिया और इराक के ६००० चुने हुए घुड़सवार , ६००० ऊँट सवारों व ३००० भारवाही ऊंट थी जल मार्ग से पांच बड़ी मशीन भेंजी गयी एक मशीन के साथ ५०० आदमी थे पांच मशीने मिलाकर २५०० सैनिक थे मकरान के पास वहां का गवर्नर मोहम्मद हारून भी अपनी सेना सहित उसके साथ हो लिया मकरान से कासिम देवल की ओर बड़ा मार्ग में जाट भी उसके साथ हो गए क्यूंकि वह दाहिर से खुश नहीं थे कासिम ने देवल को चारो ओर से घेर लिया जिससे भयभी होकर वह वहां से भाग निकला कासिम  ने देवल जीता फिर नीरून जीता इसके बाद मीरकासिम सहवान की ओर बड़ा सहवान पर दाहिर के चचेरे भाई बजहरा का शासन था वह सहवान छोड़कर भाग गया फिर रावर में मीरकासिम ने दाहिर को हराया इसके साथ ही सम्पूर्ण सिंध पर अरबो का अधिकार हो गया 




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