प्रथ्वी राज चौहान की मृत्यु में के बारे में विद्वानों ने कई मत प्रकट किये है
चंदरबरदाई के अनुसार प्रथ्वी राज चौहान को तराइन के युद्ध में हराने के बाद मोहम्मद गौरी उसे पकड़कर गजनी ले गया था जहा प्रथ्वी राज चौहान ने मोहम्मद गौरी की शब्दभेदी बाण से ह्त्या कार दी थी परन्तु बाद में प्रथ्वी राज चौहान को भी मार दिया गया था
दूसरा मत हसन निजामी ने अपनी पुस्तक ताजुल मासिर में लिखा है की प्रथ्वीराज गौरी के साथ अजमेर गया और उसने गौरी की अधीनता स्वीकार कर ली थी परन्तु बाद में विद्रोह करने का प्रयास किया तो उसे मृत्यु दंड दे दिया गया
हसन निजामी का यह मत ज्यादा स्वीकार किया जाता है क्यों की प्रथ्वी राज के कुछ सिक्को पर उलटी ओर श्री मोहम्मद साम लिखा पाया गया है जिससे यह प्रमाणित होता है की उसने गौरी की अधीनता स्वीकार कर ली थी
तराइन का द्वितीय युद्ध भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है
चंदरबरदाई के अनुसार प्रथ्वी राज चौहान को तराइन के युद्ध में हराने के बाद मोहम्मद गौरी उसे पकड़कर गजनी ले गया था जहा प्रथ्वी राज चौहान ने मोहम्मद गौरी की शब्दभेदी बाण से ह्त्या कार दी थी परन्तु बाद में प्रथ्वी राज चौहान को भी मार दिया गया था
दूसरा मत हसन निजामी ने अपनी पुस्तक ताजुल मासिर में लिखा है की प्रथ्वीराज गौरी के साथ अजमेर गया और उसने गौरी की अधीनता स्वीकार कर ली थी परन्तु बाद में विद्रोह करने का प्रयास किया तो उसे मृत्यु दंड दे दिया गया
हसन निजामी का यह मत ज्यादा स्वीकार किया जाता है क्यों की प्रथ्वी राज के कुछ सिक्को पर उलटी ओर श्री मोहम्मद साम लिखा पाया गया है जिससे यह प्रमाणित होता है की उसने गौरी की अधीनता स्वीकार कर ली थी
तराइन का द्वितीय युद्ध भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है
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